वे आए अपने इतिहास को अपनी जमीन पर छोड़कर कहीं कोई कमरा किराए पर ले धीरे-धीरे उन्होंने जीत लिए शहर उनके बच्चों ने पेट में ही सीख लिया शहर जीतना और तोड़ डालीं मिली थीं अगर कुछ मूर्तियाँ उन्हें गर्भ में।
हिंदी समय में संजय चतुर्वेदी की रचनाएँ